” वर्तमान में चिकत्सा के क्षेत्र में का Electroencephalogram (EEG ) अपना विशेष महत्व है। इलेक्ट्रोइन्सेफलोग्राम (EEG) तकनीक की मदद से मस्तिष्क की गतिविधियों के आधार पर मानसिक अवस्था की सामान्य और असामान्य स्थिति का पता लगाया जाता है। इस तकनीक के माध्यम से मरीज का इलाज करने वाले डॉक्टर को न्यूरोलॉजिस्ट कहते हैं। जो कंप्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित तरंगो को देखकर असामान्य अवस्था का पता लगाता है। यह तकनीक इस पोस्ट में इस तकनीक से सम्बंधित प्रमुख जानकारियो पर प्रकाश डाला गया है। “
Electroencephalogram (EEG )

क्यों एवं कैसे करती है काम ?
तकनीक मुख्यत सोने से सम्बंधित समस्याओ का पता लगाने , अचानक व्यवहार में आये बदलाव की समंस्य को समझने के लिए प्रयोग की जाती है। साथ ही साथ सर में चोट लग जाने के बाद,लिवर या दिल के ट्रांसप्लांट होने से पहले और बाद में मानसिक अवस्था का पता लगाने के लिए प्रयोग की जाती है। इस तकनीक को प्रयोग करते समय तकनीक विशेषज्ञ खोपड़ी पर जगह जगह इलेक्ट्रोड लगा देते हैं जो एक एम्प्लीफायर एवं रिकॉडिंग मशीन से जुड़े होते होते हैं।

EEG रिकॉर्डिंग मशीन द्वारा प्रदर्शित तरंगो के प्रकार
ये तरंगे मुख्यतया चार प्रकार की होती हैं।
एल्फा तरंगे – इनकी फ्रीक्वेंसी मुख्यता : 8 to 12 cps ( Cycle Per Second) होती है और यह तब प्रदर्शित होती हैं ,जब टेस्ट के दौरान मरीज की आँखे तो बंद होती हैं परन्तु मानसिक रूप से वह सचेत अवस्था में होता है। जैसे ही मरीज अपनी आँखे खोलता है या ध्यान के अवस्था में आ जाता है तो एल्फा तरंगे नहीं रहती।
बीटा तरंगे – इनकी फ्रीक्वेंसी 13 से 30 cps ( Cycles Per Second) होती है और यह मुख्यतया तब प्रदर्शित होती हैं जब मरीज ने दवाई का सेवन किया होता है।
डेल्टा तरंगे – इसकी फ्रीक्वेंसी 3 cps (Cycle Per Seconds) से कम होती है और या तब प्रदर्शित होती हैं जब मरीज टेस्ट के दौरान सोयी हुयी अवस्था में होता है। मुख्यत बच्चो के टेस्ट के दौरान ये होती हैं।
थीटा तरंगे – इनकी फ्रीक्वेंसी 4 से 7 cps (Cycle per Second) होती है और यह भी मुख्यता बच्चो के टेस्ट के दौरान प्रदर्शित होती हैं।
टेस्ट के परिणाम
अगर टेस्ट के दौरान मस्तिष्क के दोनों तरफ के हिस्सों द्वारा एक ही प्रकार के तरंगे प्रदर्शित होती हैं या टेस्ट के दौरान कोई असधारण मस्तिष्क तरंग प्रदर्शित नही होती या स्क्रीन पर प्रदर्शित होने वाली तरंगो की गति एक दम से धीमी नहीं होती तो यह सामान्य अवस्था का सूचक है। इसके विपरीत परिस्थति में असामन्य अवस्था होती है।
यदि व्यस्को के टेस्ट के दौरान स्क्रीन पर बहुत अधिक थीटा तरंग प्रदर्शित होती हैं तो यह ब्रेन में बीमारी पाये जाने का सूचक है। टेस्ट के दौरान जिस समय मशीन कोई ब्रेन इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी नहीं नापता या स्क्रीन पर तरंग न प्रदर्शित होकर केवल स्ट्रैट लाइन प्रदर्शित होती है तो इसका मतलब है की उस समय ब्रेन ने काम करना बंद कर दिया है। जो की मुख्यता ब्रेन में ऑक्सीजन की कमी या रक्त का प्रवाह बंद होने की वजह से होाता है यह तब होता है जब मरीज कोमा में चला जाता है।
Reference : http://www.webmd.com, Google